शर्मनाक! चढावा चढाओ और मानला जौराहामाशो

जीवन सुरक्षा टाइम्स कानपुर। कानपुर के यातायात विभाग में अवैध वसूली का एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है जहां पर उच्च अधिकारियों से सांठ-गांठ के माध्यम से आपको उपहार स्वरूप मनचाहा चौराहा मिल सकता है। मतलब साफ है कि चांदी का जूता सबको अच्छा लगता है। और एक के बाद एक हो रहे खुलासों के बाद एक बात तो तय है कि कानपुर के यातायात विभाग द्वारा अवैध वसूली का शायद ही कोई विकल्प अब तक शेष रह गया हो। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, कानपुर शहर के कई चमक-धमक वाले चौराहों पर टीएसआई और सिपाही टकटकी लगाए बैठे रहते हैं जिनमें उच्च अधिकारियों को मनचाहा चढ़ावा मिलने के बाद ही उनको इन चौराहों पर तैनाती मिलती है। इतना ही नहीं सूत्रों के मुताबिक, हर चौराहे का वसूली के हिसाब से रेट तय होता है जिस पर हामी भरने के बाद ही सेक्टर प्रभारी को चौराहा दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर कानपुर शहर के नो एंट्री प्वाइंट से संबंधित चौराहा पर तैनाती पाने के लिए सेक्टर प्रभारियों को मोटा पैसा खर्च करना पड़ता है। शहर के 3 मुख्य चौराहों के रूप में नौबस्ता, टाटमिल, विजय नगर, दादा नगर, रामादेवी, बर्रा समेत कई चौराहे शामिल है। अब जब कि सेक्टर प्रभारी स्वयं ही यातायात विभाग के उच्च अधिकारियों को मोटा चढ़ावा चढ़ाकर एक माह के लिए चौराहा पाते हैं तो फिर उनके लिए अवैध वसूली के सारे रास्ते उच्च अधिकारियों द्वारा खुले रहते हैं। तभी तो वह अपने हमराही समेत चौराहे पर तैनात पूरे स्टाफ के साथ उच्च अधिकारियों को माह के अंत में संतुष्ट कर पुनः मनचाहे चौराहे की अर्जी लगा पाते हैं। इस प्रकार से चल रहा है यातायात विभाग में अवैध वसूली का खुला खेल जिसकी पुष्टि हमारे विश्वस्त सूत्र तो करते ही हैं साथ ही इन चौराहों पर लगी तीसरी आंख में यातायात नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करने वाली गाड़ियों को यातायात कर्मियों के रोके जाने के बावजूद भी उन्हें बिना चालान किए छोड़ देना भी इस अवैध वसूली को और पुख्ता कर देता है।